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✡ Happy birthday to Swamiji ✡
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स्वामी लालदास जी महाराज के जयंती
आज सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के प्रिय सेवक पूज्यपाद लालदास जी महाराज का जन्मोत्सव के कार्यक्रम उनके प्रिय जनों द्वारा मनाया जा रहा है। हर साल 18 जनवरी को उनकी जयंती मनाई जाती है। इस दिन को पूरे संतमत समाज में साहित्य दिवस के तौर पर देखा जाता है।
स्वामी लाल दास जी की कीर्ति |
एक दुआ माँगते है हम अपने भगवान से,
संतमत के साहित्यिक सेवा
आपको मालूम होगा कि सद्गुरु महर्षि मेंहीं को समर्पित और आध्यात्मिक पत्रिका "शांति संदेश" के शुद्ध प्रकाशन सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के प्रत्येक साहित्य के शुद्धीकरण के साथ-साथ संतवाणीयों का अनुभूति युक्त मार्मिक व्याख्या इन्होंने की है, जो संतमत समाज में अद्वितीय है। इनका रोम-रोम गुरुभक्ति में डूबा हुआ है। ये जितना ईश्वर में विश्वास करते हैं, उतना ही वे संत सद्गुरु रूप माता-पिता की सेवा करना सच्ची ईश्वर पूजा मानते हैं।
सद्गुरु महर्षि मेंहीं, समाधि मंदिर और स्वामी लाल दास जी महाराज |
मैं लिख दू तुम्हारी उम्र चाँद सितारों से…
मैं मनाऊ जन्मदिन तुम्हारा फूल बहारों से
ऐसी खूबसूरती दुनिया से लेकर आऊ मैं
के सारी महफ़िल सज जाए हसीं नजारो से...
विविध रूपों में स्वामी जी महाराज |
स्वामी लालदास जी महाराज जयंती
Swami Laldas quotes : उन्होंने कभी भी किसी चीज का लोभ अपने मन में नहीं रखा, ना ही उन्होंने निजी मुक्ति को जीवन का लक्ष्य बनाया है। उनका एकमात्र लक्ष्य समी प्रभु प्रेमियों के जीवन का उत्थान है। गुरु भक्ति के प्रेरक स्वामी लालदास जी महाराज आज भी करोड़ों प्रभु प्रेमियों के प्रेरणास्रोत हैं। करोड़ों लोगों के प्रेरणास्रोत स्वामी लालदास जी महाराज की जयंती पर पढ़ें- उनके कुछ अनमोल विचार, इनका पालन करने से तो ये आपके जीवन के रुख को बदल कर रख देंगे।
आचार्य श्री और स्वामी लाल दास |
जीवनोपयोगी बातें
1. कोई काम करने से चार लाभ होते हैं-- समय कटता है, आनंद आता है, धन प्राप्त होता है और परिवार तथा समाज में प्रतिष्ठा मिलती है ।
2. जो कोई काम नहीं करता है, उससे उसके माता-पिता, पत्नी, पुत्र और समाज के लोग भी प्रसन्न नहीं रहते।
3. जो दूसरे की कमाई खाता है, उसका मन गिरा हुआ रहता है, उसका आत्मबल ऊँचा नहीं हो पाता है।
4. वही व्यक्ति सफल माना जा सकता है, जो अपना भी जीवन-निर्वाह करता है और अपने सगे-संबंधियों का भी।
5. जो केवल अपना पेट पालता है, वह प्रशंसनीय नहीं है।वह पशु-पक्षी श्रेणी का है। एक कौवा भी अपनी चोंच से अपना पेट पाल लेता है, इसी तरह कोई पशु भी अपना पेट पाल लेता है। पशु-पक्षी दूसरे का पेट नहीं पाल पाते।
6. जवानी में इतना धन कमा लेना चाहिए कि बुढ़ापे में आराम से जीवन बिताया जा सके।
7. व्यक्ति को बैंक में कुछ रुपए जमा करते जाना चाहिए, ताकि विपत्ति की घड़ी में वे रुपये काम आ सकें।
कुप्पाघाट में स्वामी लाल दास जी |
8. जब अर्थ का अभाव हो जाए, तो दूसरों से ऋण न लेकर अपनी आवश्यकताओं को घटा देना चाहिए।
9. जिसकी बेटी विवाह के योग्य हो गई है और जिसके माथे पर ऋण का भार है, उसे रात में नींद नहीं आती।
10. अपने पुत्र-पुत्रियों को उनके खर्च के लिए यदि रुपए दिया कीजिए, तो उनसे फिर उन रुपयों का हिसाब लिया कीजिए, ताकि वे उन रुपयों का दुरुपयोग नहीं कर पाएँ।
11. अधिक रुपए पास में रहने पर लड़के-लड़कियाँ कुमार्ग पर पाँव रख सकते हैं।
12. जो दूसरों से ऋण लेकर अपने को बड़ा दिखाता है, वह एक दिन कंगाल हो जाता है।
13.जो शीघ्र धनवान् बनना चाहे, वह नम्र, सहनशील और क्रोध नहीं करनेवाला बन जाए।
14. जो अरबपति गरीब बनना चाहे, वह शराब पीने, जुआ खेलने और परस्त्रीगमन करने की आदत लगा ले।
15. एक भिखमंगा भी अमीर बन सकता है, यदि वह अपनी भीख के कुछ पैसे दान किया करे।
16. एक भिखमंगे का भीख माँगना भी छूट सकता है, यदि वह संतों के विचारों पर चलना आरंभ कर दे।
17. किसी व्यक्ति की संपत्ति बढ़ती जाती है, तो उसकी परेशानी भी बढ़ती जाती है, उसपर विपत्ति-पर-विपत्ति आने लग जाती है।
18. जेहि विधि राखै राम, सोई विधि रहिए। -- जीवन जीने का यह सबसे अच्छा तरीका है।
19. आप इस जीवन में जो संपत्ति अर्जित कर रहे हैं, वह इसी जीवन तक आपको सुख-सुविधा प्रदान कर सकेगी, अगले जन्म में नहीं।
20. आप अच्छा या बुरा जो कर्म कर रहे हैं, वही आपको अगले जन्म में सुख या दुःख देनेवाला बनेगा।
21. हम गरीब बनकर रहना स्वीकार करें; परंतु धन के लिए पाप कर्म न करें।
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स्वामी जी के साहित्य |
आपके जन्मदिन पर तमन्ना है हमारी,
जितने दिन सूरज और चांद-सितारे रहें,
उतनी लंबी हो जाए उम्र तुम्हारी।
जीवन का हर दिन आप खुशी से बिताएं,
दूर रहे आप से हर बलाएं।
इसी प्रार्थना के साथ जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं!!!
अभिनंदन ग्रंथ में स्वामी जी के लेख। |
जन्म और माता पिता
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्वामी का जन्म 18 जनवरी सन 1952 ई. को राघोपुर अनुमंडल (भागलपुर) के एक गंगोत्री परिवार में हुआ था। बचपन में उनका नाम छोटेलाल मंडल था। उनके परिवार में उनके पिता-माता और भाई-बहन थे। उनके पिता आदरणीय स्व. पांचू मंडल उस समय प्रतिष्ठित व्यक्तियों में थे।
कुप्पाघाट में टहलते हुए स्वामी जी |
बिना मांगे मिले हर खुशी तुम्हें,
कामयाबी हर वक्त तुम्हारे कदम चूमें,
तुम रहो खुश हर दिन,
आज का ये खास दिन मुबारक हो तुम्हें।
संतमत के लिए यादगार
स्वामी लालदास जी महाराज ने अपने विचारों से ना सिर्फ भारत का नाम रौशन किया बल्कि दुनिया में भी देश का मान बढ़ाया है। संतमत कि जो इन्होंने साहित्यिक सेवा की है वह आज भी काफी लोकप्रिय है। सन् 1974 ई. से जो इन्होंने साहित्यिक सेवा की है । उससे इन्होंने भारतीय संत संस्कृति और भारतीय ज्ञान से दुनिया को रुबरू करवाया है।
दुनिया में जहां भी रहे, खुशियों से भर जाए जीवन आपके,
हमें पता है समंदर से भी बड़ा है दिल आपका,
हर साल खुशियों से भरा हो जन्मदिन आपका।
Happy Birthday Beautiful
सद्गुरु महर्षि मेंहीं की सेवा में स्वामी जी |
अध्यात्म प्रेमियों के यादगार क्षण
स्वामी लालदास जी महाराज ने आध्यात्मिकता से परिपूर्ण भारतीय वेदांत दर्शन को सर्वसाधारण के लिए और आध्यात्मिक ईश्वर प्रेमियों के क्षितिज में फैलाया है। इस तरह स्वामीजी ने दुनिया में भारतीय संस्कृति को मान दिलाया। उनका रहन-सहन पहनावा इतना साधारण है कि उनके ज्ञान और व्यक्तित्व के पीछे ये चीजें मायने नहीं रखती हैं। मोह-माया से दूर रहनेवाले स्वामीजी का मानना है कि व्यक्ति के आचरण से ही उसकी सच्ची पहचान होती है। स्वामीजी के अनुसार, किसी व्यक्ति की संस्कारशीलता वस्त्र या आभूषण आदि से नहीं, बल्कि कर्म की श्रेष्ठता से मालूम होती है।
स्वामी लाल दास जी की कुंडलियां |
इनकी टीका पुस्तकों का सम्मान
स्वामी लालदास जी महाराज के अनमोल विचारों को आज भी स्कूलों में ही नहीं बल्कि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया है। इनकी लिखी हुई संतवाणीयों का भावार्थ सर्वसाधारण को आसानी से समझ में आ जाती है। उनके जीवन से जुड़े कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनसे सुखी और सफल जीवन की प्रेरणा मिलती है। बता दें कि स्वामी लालदास जी महाराज द्वारा लिखित संपादित 52 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें संत वचनावली सटीक भागलपुर विश्वविद्यालय में पढ़ाया जाता है।
स्वामी लाल दास जी महाराज |
महत्वपूर्ण कार्य
स्वामी लालदास का मानना है कि हमारा प्रत्येक स्वार्थपूर्ण कार्य की पूर्णता और आध्यात्मिक गगन में विचरणा बिना गुरु की कृपा के नहीं हो सकता है। गौरतलब है कि स्वामी लालदास जी महाराज ने साप्ताहिक ध्यानाभ्यास की शुरुआत संतनगर, बरारी भागलपुर में सबसे पहले-पहल की है, महर्षि मेंहीं सत्साहित्य प्रकाशन समिति और संतमत सत्संग मंदिर जैसे महत्वपूर्ण संस्थानो की नींव रखी है।
प्रसन्न मुद्रा में स्वामी जी |
दिव्य संदेश के साथ स्वामी जी |
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