Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास।

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास।

Size
Price:

Read more »

》⍟☆⍣ Happy Saraswati Puja⍣☆⍟《

















































▂ ▄ ▅ Happy Saraswati Puja ▅ ▄ ▂

Snow
Happy Saraswati Puja
In
💓 Advance 💓

Main Image

Happy Saraswati Puja

साहित्य, शिक्षा, कला इत्यादि के क्षेत्र से जुड़े लोग शुभ मुहूर्त माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां सरस्वती की पूजा-आराधना करते हैं। 
संतमत सत्संग से जुड़े लोग केवल सत्संग और ध्यान को ही प्रधानता देते हैं। विधर्मी लोगों को इस पूजा से कोई मतलब ही नहीं है। ऐसी परिस्थिति में सरस्वती पूजा के दिन संतमत के सत्संगी क्या करें? विधर्मी लोग सामाजिक सौहार्द और संप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए क्या करें? इसके उत्तर में यह लेख बड़ा ही महत्वपूर्ण है।

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। सरस्वती पूजा पर विशेष चर्चा
सरस्वती पूजा पर विशेष चर्चा

मां सरस्वती की पूजा

मान्यता है की सृष्टि के निर्माण के समय देवी सरस्वती वसंत पंचमी के दिन प्रकट हुई थीं।  वसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती के जन्मोत्सव का दिन है। इस दिन सरस्वती माता की पूजा की प्रथा सदियों से चली आ रही है।  

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। मां सरस्वती और सद्गुरु महर्षि मेंही।
मां सरस्वती और सद्गुरु महर्षि मेंही

मां का प्रकटीकरण

धार्मिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति ने मनुष्य के जीवन में प्रवेश किया था।
भारतीय  मान्यताओं के अनुसार-  पुराणों में लिखा है सृष्टि को वाणी देने के लिए भगवान विष्णु की आज्ञा से इसी दिन ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनि की रचना की थी, लेकिन शुरू में इन्सान बोलना नहीं जानता था। धरती पर सब शांत और निरस था। ब्रह्माजी ने जब धरती को इस स्थिति में देखा तो अपने कमंडल से जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़का था। इस जल से हाथ में वीणा धारण कर जो शक्ति रूपी चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई, वही सरस्वती देवी कहलाई। उनके वीणा का तार छेड़ते ही तीनों लोकों में ऊर्जा का संचार हुआ और सबको शब्दों में वाणी मिल गई। वह दिन बसंत पंचमी का दिन था इसलिए बसंत पंचमी को सरस्वती देवी का जन्म दिन भी माना जाता है। इस दिन से वसंत ऋतु का आरंभ माना जाता है। इसे शुभ दिन माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का पूजन करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। पुराणों में मां सरस्वती के जन्म की कथा
पुराणों में मां सरस्वती जन्म की कथा

मां के अन्य नाम

मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी, हंसवाहिनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूकारा जाता है|

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। मां सरस्वती के अन्य नाम
मां सरस्वती के अन्य नाम

मां सरस्वती का स्वरूप
सरस्वती के एक मुख, चार हाथ हैं। दोनों हाथों में वीणा धारण की हुई है। वीणा संगीत, भाव-संचार एवं कलात्मकता की प्रतीक है। तीसरे हाथ में पुस्तक है जो विद्या की प्रतीक है। यह विद्या रुपी ज्ञान अपूर्व है, जो संचय करने पर घटता है तथा व्यय करने पर बढ़ता है। अन्य हाथ में माला है, जो ईश्वर के प्रति निष्ठा तथा सात्त्विकता का बोधक है।  इनके वाहन हंस है। मयूर-भी इनका वाहन है जो मनोरम सौन्दर्य का प्रतीक है।

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। मां सरस्वती के विविध रूप
सरस्वती के विविध रूप

मां सरस्वती की पूजा कैसे करें?
सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त 2020 (Saraswati Puja Shubh Muhurat 2020)
इस वर्ष वसंत पंचमी 29 जनवरी 2020, बुधवार को है। सुबह 10 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक (29 जनवरी 2020)
पंचमी तिथि प्रारम्भ - सुबह 10 बजकर 45 मिनट से (29 जनवरी 2020 )
पंचमी तिथि समाप्त - अगले दिन रात 01 बजकर 19 मिनट तक (30 जनवरी 2020)
Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। पूजा का समय और शुभ मुहूर्त
पूजा का समय और शुभ मुहूर्त

संतों की दृष्टि में सरस्वती का महत्व

*  सरस्वती की वेणी को सत्संग रूपी संगम में विराजमान त्रिवेणियों में से भी एक माना गया है | गोसाईं तुलसीदास जी ने इस सत्संग रूपी तीर्थराज का वर्णन बड़े ही मनोहारी रूप में किया है - " राम भगति जहँ सुरसरि धारा | सरसई ब्रह्म - विचार प्रचारा | | विधि - निषेधमय कलिमल हरनी | करम कथा रविनंदिनी बरनी अर्थात् जहाँ निर्गुण ब्रह्म की , परमात्मा की , परमात्म - भक्ति की , जीवात्मा - आत्मा - परमात्मा की , बांध - मोक्ष दशा की , मुक्ति - मार्ग इत्यादि की चर्चा जहाँ होती हो , मानो वहाँ सरस्वती की वेणी प्रवहमान है । उक्त सत्संग की त्रिवेणी में स्नान करने से मन पवित्र , निर्मल होता है ।


Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। पूजा का विधि विधान
पूजा का विधि-विधान

मां सरस्वती की पूजा विधि (Saraswati Puja Vidhi)

वैसे तो वसंत पंचमी पर पूजा का कोई खास शुभ मुहूर्त नहीं होता है। लेकिन इस बात का ध्यान जरूर रखा जाना चाहिए कि पूजा पंचमी तिथि में ही की जाए। आम तौर पर दिन के मध्य में इस दिन पूजा की जाती है।
 मत-मतांतर के चलते कई स्थानों पर यह 30 जनवरी 2020, गुरुवार को मनाई जाएगी। 
शास्त्रों में बसंत पंचमी के दिन कई नियम बताए गए हैं, जिसका पालन करने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं। बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनने चाहिए और मां सरस्वती की पीले और सफेद रंग के फूलों से ही पूजा करनी चाहिए।

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। मुहूर्त का महत्व
मुहूर्त का महत्व

माँ सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja) करने वाले को सबसे पहले सरस्वती की प्रतिमा को शुद्ध या नवीन श्वेत वस्त्र पर अपने सामने रखना चाहिए। पूजा आरम्भ करने से पहले अपने आपको तथा आसन को इस मंत्र से शुद्घ करना चाहिए –

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। मां सरस्वती की प्रारंभिक पूजा
मां सरस्वती की प्रारंभिक पूजा

“ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥”

इन मंत्रों को पढकर अपने ऊपर तथा आसन पर तीन-तीन बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगाने चाहिए। पुनः निम्न मंत्र से आचमन करना चाहिए। ऊं केशवाय नम: ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, बोलकर फिर हाथ धोनी चाहिए। उसके बाद फिर से आसन शुद्धि मंत्र बोलने चाहिए ।

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। मां की पूजा का मध्य भाग
मां की पूजा का मध्य भाग

ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥

आसन शुद्धि और आचमन के बाद चंदन का तिलक लगाना चाहिए। तिलक हमेशा अनामिका उंगली से ही लगाना चाहिए। चन्दन लगाते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। मां की पूजा की समाप्ति
मां की पूजा की समाप्ति

‘चन्दानस्य् महत्पुिण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्याम् लक्ष्मीम तिष्ठ:तु सर्वदा।’

पुनः इसके बाद सरस्वती पूजन (Saraswati Puja) के लिए संकल्प लेनी चाहिए बिना संकल्प लिए की गयी पूजा सफल नहीं होती है इसलिए संकल्प जरूर लेनी चाहिए। संकल्प लेने के बाद हाथ में फूल ( श्वेत पुष्प जरूरी होता है) अक्षत, फल और मिष्ठान लेकर ‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये |’  इस मंत्र का उच्चारण करते हुए हाथ में रखी हुई सामग्री मां सरस्वती के सामने समर्पित कर देना चाहिए।

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। पूजन उपरांत माता का दृश्य
पूजन उपरांत माता का रूप

खास बातें

बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष दिन माना जाता है और मां सरस्वती ही बुद्धि और विद्या की देवी हैं। मान्यता है कि जिस छात्र पर मां सरस्वती की कृपा हो उसकी बुद्धि बाकी छात्रों से अलग और बहुत ही प्रखर होती है। ऐसे छात्र को कोई भी विद्या आसानी से प्राप्त हो जाती है। खासतौर पर बसंत पंचमी में दिन यदि कोई छात्र मां सरस्वती की अराधना करे उनके मंत्र का जाप करें या कोई अन्य उपाय करें तो मां सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जानें वे उपाय जिन्हें बसंत पंचमी को अपनाने से प्रसन्न होती हैं मां सरस्वती-

1- अपनी किताबों/पुस्तकों बसंत पंचमी के दिन मोर पंख रखना चाहिए। मान्यता है कि इससे पढ़ने में मन लगता है।
2.  अपने पढ़ने के पुस्तकों को जैसे-तैसे नहीं रखना चाहिए। एक व्यवस्थित ढंग से रखना चाहिए।
3.  कोई भी पूजा-पाठ तभी सफल होता है, जब बड़े लोगों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अतः बड़ों का सम्मान करना चाहिए और उनकी बातों को गंभीरता से विचार करना चाहिए और मनना चाहिए।

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। धार्मिक मर्यादा और मां सरस्वती
धार्मिक मर्यादा और मां सरस्वती

सरस्वती वंदना गीत-

वर दे, वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
        भारत में भर दे !

काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
        जगमग जग कर दे !

नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
        नव पर, नव स्वर दे !

वर दे, वीणावादिनि वर दे।
 - सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना


बिशेष पूजा

 1. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने के लिए सबसे पहले सरस्वती की प्रतिमा रखें.
2. कलश स्थापित कर सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लेकर पूजा करें. 
3. सरस्वती माता की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आमचन और स्नान कराएं.
4. माता को पीले रंग के फूल अर्पित करें, माला और सफेद वस्त्र पहनाएं फिर मां सरस्वती का पूरा श्रृंगार करें.
5. माता के चरणों पर गुलाल अर्पित करें.
6. सरस्वती मां पीले फल या फिर मौसमी फलों के साथ-साथ बूंदी चढ़ाएं. 
7. माता को मालपुए और खीर का भोग लगाएं.
8. सरस्वती ज्ञान और वाणी की देवी हैं. पूजा के समय पुस्तकें या फिर वाद्ययंत्रों का भी पूजन करें.
9. कई लोग बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन हवन से करते हैं. अगर आप हवन करें तो सरस्वती माता के नाम से 'ओम श्री सरस्वत्यै नम: स्वहा" इस मंत्र से एक सौ आठ बार जाप करें.

10. साथ ही संरस्वती मां के वंदना मंत्र का भी जाप करें.

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता 
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। 
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता 
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥ 

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। संतों की दृष्टि में मां सरस्वती
संतों की दृष्टि में मां सरस्वती

बसंत पंचमी पर विशेष 

किसी भी अच्छे कार्य की शुरुआत बिना किसी मुहूर्त की जा सकती है। इस दिन सरस्तवती पूजन का भी महत्व है। अबूझ मुहूर्त होने के कारण इस दिन खूब शादियां होती हैं। वसंत पंचमी पर पीले वस्त्र पहनने, हल्दी से सरस्वती का पूजन करने भी विधान है। पीला रंग इस बात का संकेत है कि फसल पकने वाली हैं। पीला रंग समृद्धि का सूचक भी कहा गया है। मां शारदा के मंदिरों में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। धार्मिक सौहार्द और मां सरस्वती
अध्यात्मिक सौहार्द और मां सरस्वती

मां सरस्वती की आरती

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..

चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ ॐ जय..

बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ ॐ जय..

देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ ॐ जय..

विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ ॐ जय..

धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ ॐ जय..

मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ ॐ जय..

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। संतो द्वारा मां सरस्वती की आरती
संतो द्वारा मां सरस्वती की आरती

धार्मिक सौहार्द के लिए खास बातें

भारतवर्ष में प्रत्येक भारतीय (हिन्दू) इस पूजा को धूमधाम से मनाते हैं. पूजा को देखते हुए गुरुदेव के अनुयायियों के बच्चों, भाई बंधु एवं अन्य संबंधियों के उत्साह चरम सीमा पर होती है और वे इस पूजा को करने के लिए उतारू हो जाते हैं। ऐसी परिस्थिति में संतमत सत्संगियों के मन में कई तरह का भ्रम उत्पन्न हो जाता है। जैसे- 
1.  कबीर साहब ने कहा है- 
100 बरसा भक्ति करें 1 दिन पूजै आन, सो अपराधी आत्मा परै 84 खान।

2. एक निष्ठ भक्ति
रामायण में आया है
उत्तम के अस बस मन माही, आन पुरुष सपने जग नाहीं। मध्यम पर पुरुष देखें कैसे, भ्राता पिता-पुत्र निज जैसे। क्षण सुख लागी जन्मशत कोटी, दुख न समझ, तेहि सम को खोठी।

3. गुरुदेव की आज्ञा
"सत्संग नित अरु ध्यान नित, रहिए करत संलग्न हो। व्यभिचार चोरी नशा हिंसा झूठ सजना चाहिए।।
यह सार है सिद्धांत सबका, सतगुरु को सेवना। मेंहीं न हो कुछ यही बिना, गुरु सेव करनी चाहिए।।"

4. अन्य विचार
धन की बर्बादी, समय की बर्बादी, साधन का दुरुपयोग एवं ध्वनि प्रदूषण व अन्य बातें।

उपर्युक्त वर्णनों पर चिंतन-मनन करें अथवा माने तो सत्संग प्रेमियों को यह पूजा नहीं करनी चाहिए। इस तरह का मानसिक भ्रम पैदा हो जाता है।

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। संतमत और सरस्वती पूजा
संतमत और सरस्वती पूजा

संतमत सत्संग एवं अन्य धर्मावलंबी के लिए

उपर्युक्त मानसिक भ्रमों को लेकर जब शांति संदेश के संपादक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के पास पहुंचे, तो उन्होंने अपना फैसला देते हुए विश्वकर्मा पूजा के उपलक्ष्य में सत्संग कार्यक्रम आयोजित करने का आदेश दिए। जिसमें उन्होंने बताया कि संतमत सत्संगियों को ऐसे अवसरों पर संतमतानुसार पूजा कैसे करनी चाहिए। इस संबंध में बिशेष जानकारी के लिए  कुप्पाघाट में विश्वकर्मा पूजा का जो दृश्य होता है, उसका अनुकरण सभी सत्संगियों को करनी चाहिए।

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। मां सरस्वती की विदाई
मां सरस्वती के विदाई

बिशेष जानकारी 

प्रभु प्रेमियों ! प्रत्येक सत्संगियों को अथवा अन्य गैर सत्संगियों को या अन्य धर्मावलंबीयों को  भी ऐसे अवसरों पर उपर्युक्त उत्साह का आनंद लेने के लिए या उपर्युक्त उत्साह का सदुपयोग करने के लिए सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज द्वारा बताएं उपाय का अनुसरण कर सकते हैं। जिसमें उन्होंने सरस्वती मां की प्रतिमा अथवा अपने इष्ट का प्रतिमा अथवा दोनों प्रतिमाओं को सिंहासन पर लगा कर जो विधि-विधान सरस्वती पूजा का है, उसी विधि-विधान से अपने इष्ट की पूजा करें अथवा अपने धर्मानुकूल जो पूजा पद्धति है उसका अनुसरण करें और इस उत्साह में अपने को सम्मिलित करके इस उत्साह का हार्दिक आनंद लें अथवा इस उत्साह को अपने जीवन में सामिल करे और भारत के सांप्रदायिक सद्भाव को कायम रखने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करें।

Happy Saraswati Puja सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास। पुनः आगमन का निमंत्रण
पुनः आगमन का निमंत्रण

प्रभु प्रेमियों अगर आपको यह लेख पसंद आया तो अपने इष्ट मित्रों में भी इसे शेयर करें और अधिक से अधिक है इसका प्रचार प्रसार करके भारत के संप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करें जो भर्ती एक भारतीय का कर्तव्य है हमारा दूसरा पोस्ट पढ़ना ना भूलें जिसमें आगामी इवेंट (धार्मिक समारोह) की चर्चा की गई है।*****

आप सभी का जिमेदारी है
मकर संक्रांति तक ये सभी
के फ़ोन में पहुंच जाना चाहिए





Share

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *